Archive for अक्टूबर 31, 2007

तुम्हारे वास्ते हैं

तुम्हारे वास्ते हैं मेरे जीवन के धारे।
तुम्हीं हो मेरे साथी तुम्हीं मेरे सहारे।

ये कलियाँ,फूल,भंवरे,ये सूरज चाँद तारे,
तुम्हारे ही लिए हैं यहाँ सारे नज़ारे।

है मुझको प्यार तुमसे तुम्हे कैसे बताऊं,
हो तुम तो मेरे हमदम मुझे जाँ से भी प्यारे।

तुम्हारे बिन तो जैसे सज़ा है मेरा जीना,
तुम्हारे बिन अकेला मैं जाऊंगा कहाँ रे।

बहुत समझाना चाहा मगर फिर भी न माना,
है दिल को तेरी चाहत और हम दिल के मारे।

मुहब्बत के सफर में फंसी है मेरी कश्ती,
मुझे तुम जो मिलो तो मिलें मुझ को किनारे।