जब पतझड़ मुझको प्यारा है वासंती गीत लिखूं कैसे।
जिसने मेरा दिल तोड़ दिया मैं उसको मीत लिखूं कैसे।
देख कर हालत देश की इस आज कोयलिया भी रोए,
तुम ही बोलो इस क्रंदन को मैं संगीत लिखूं कैसे।
जिस जीत के खातिर सब हारा, सारे जग-बन्धन तोड़ दिए,
जीत तो गया पर मैं इसको अपनी जीत लिखूं कैसे।
आज सफलता की चोटी पर खड़ा अकेला मैं हर दम,
पर इस तन्हाई से मैं हूं कितना भयभीत लिखूं कैसे।
Archive for सितम्बर, 2007
पतझड़ और वासंती गीत