Archive for क्षणिकाएं एवं अशआर

रात

मेंढक की टर्र-टर्र,
झींगुर के स्वर,
भयभीत मन कंपित कर,
तन पर चुभते हवाओं के शर,
अंतर उद्वेलित बाहर नीरव,
मन में होते आतंकित अनुभव,
मंथर गति से चलती वात;
यही है रात।

« Previous entries