क्यों मियाँ मुशर्रफ?
क्या फौज ने बना दिया है आपको
इतना टफ
कि नहीं पड़ता आप पर
कोई असर विरोध का।
लोगों की पसन्द पर,
किए गए शोध का।
क्या आप नहीं समझ पाते,
सेना और लोकतंत्र
के बीच का अंतर।
शासन का मंतर।
सेना है तंत्र बंधन का
और लोकतंत्र है बंधन तंत्र का।
ध्यान रखिए इस मंत्र का।
और राष्ट्रपति बनने की हठ छोड़िए।
क्यों कि नहीं चलती
कोई भी हठ प्रजातंत्र में।
भले हो बालहठ या राजहठ,
नहीं रखतीं अस्तित्व
एक देश स्वतंत्र में।
मैं कहता हूं अब भी समय है,
चेत जाइए।
औरों को सुकूं से खाने दीजिए और
खुद भी खाइए।
यदि आप अपनी कुमति को,
सुमति पर नहीं लाएंगे।
तो आप भी एक दिन भुट्टो की
गति पाएंगे।
Archive for अक्टूबर 2, 2007
मियाँ मुशर्रफ