Archive for नवम्बर, 2007

नव प्रभात

सूरज की किरणों को छूकर आज हुआ स्वर्णिम सागर जल।
उगते सूरज की लाली से लाल हुआ अम्बर का आंचल।

चिड़ियों की मधुरिम बोली ने मौसम में मिठास एक घोली।
नए दिवस का स्वागत करने दिशाओं ने बाहें खोलीं।

खत्म हुआ अब तम धरती से खत्म हो गई रात।
नवजीवन का नव सन्देश ले आई नई प्रभात।

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